रास-लीला से लेकर सुदामा चरित्र तक गूंजा भक्ति और उत्सव का रंग
सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा संपन्न
✓सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा संपन्न
✓रास-लीला से लेकर सुदामा चरित्र तक गूंजा भक्ति और उत्सव का रंग
परिधि न्यूज बैतूल
शहर की गर्ग कॉलोनी स्थित बिंजवे परिवार में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का भव्य समापन हुआ। पहले दिन की शुरुआत कलश यात्रा से हुई, जिसमें भारी संख्या में भक्तजन सम्मिलित हुए। कलश यात्रा के पश्चात् भागवत जी की स्थापना कर पंडित श्री श्रीकांत जी हलवे ने कथा का शुभारंभ किया और कथा के महत्व को समझाते हुए सूर्यपुत्री ताप्ती नदी की महिमा का उल्लेख किया।
दूसरे दिन महिलाओं द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया गया। कथा में पंडित जी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश देते हुए बेटियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जैसे ‘शिव’ शब्द में छोटी ‘ई’ की मात्रा आवश्यक है, बिना उस मात्रा के वह शब्द शिव से शव हो जाता है , शिव शब्द में वह एक मात्र उस शब्द की आत्मा है वैसे ही बेटियां हमारे समाज की आत्मा है उनके बिना हमारा समाज कुछ नहीं है । तीसरे दिन शिव-पार्वती विवाह और ध्रुव महाराज की अद्भुत कथा सुनाई गई, साथ ही भव्य शिव तांडव की प्रस्तुति ने सभी को भक्ति भाव में सराबोर कर दिया।
चौथे दिन जना बाई के चरित्र का वर्णन करते हुए प्रह्लाद की अटूट भक्ति और हिरण्यकश्यप के वध की कथा सुनाई गई। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। पाँचवें और छठे दिन कथा का केंद्र भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ रहीं। राधा-कृष्ण रास, कंस वध और अंत में रुक्मिणी विवाह के प्रसंगों ने कथा को और भव्य बना दिया।
सातवें और अंतिम दिन पंडित श्री श्रीकांत जी ने सुदामा चरित्र का भावुक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि सुदामा जी केवल चावल भेंट स्वरूप लेकर आए थे, जिसको खाकर भगवान कृष्ण ने सम्पूर्ण ब्रह्मांड उनके नाम कर दिया। यह प्रसंग भक्तजनों को निस्वार्थ प्रेम और सच्ची भक्ति का महत्व सिखाता है। इसी दिन श्रीकृष्ण के 16,108 विवाहों का भी उल्लेख हुआ।
अंतिम दिन कथा की पूर्णाहुति हवन और आहुतियों के साथ की गई और विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस प्रकार सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा भक्ति, प्रेम और आनंद की अविस्मरणीय छाप छोड़ते हुए संपन्न हुई।