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स्कूल की राह में नदी का रोड़ा,विकास के दावों की हकीकत

✓स्कूल की राह में नदी का रोड़ा,विकास के दावों की हकीकत
✓नदी पार कर स्कूल जा रहे मासूम, धरे रह गए चुनावी वादे,पुलिया न होने से बढ़ी परेशानी
परिधि न्यूज बैतूल
देश भले ही 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन बैतूल के विकास खंड बैतूल अंतर्गत आने वाला ग्राम बडगी बुजुर्ग आज भी ऐसी परेशानियों से जूझ रहा है, जिन्हें सुनकर लगता है कि जैसे समय यहां थम गया हो। यहां के बच्चों को रोजाना अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच यह दृश्य किसी को भी सोचने पर मजबूर कर देता है कि अगर बच्चे स्कूल जाने के लिए भी खतरे से गुजरते हैं, तो गांव की असल स्थिति क्या होगी।
ग्राम बडगी बुजुर्ग के पास बहने वाली नदी चौड़ी है और इसमें पूरे साल पानी भरा रहता है। नदी के दूसरी ओर खेतों में ग्रामीणों ने अपनी जरूरत के अनुसार घर बना लिए हैं और परिवार सहित वहीं निवास कर रहे हैं। प्राथमिक शाला तो गांव में ही है, लेकिन माध्यमिक शाला लगभग तीन किलोमीटर दूर ग्राम लावण्या में स्थित है। इस कारण छठवीं से ऊपर के बच्चों को रोज नदी पार करके स्कूल जाना होता है। बरसात हो, सर्दी हो या तेज धूप, यह चुनौती हमेशा खड़ी रहती है।
बच्चों के परिजन हर दिन उन्हें नदी पार करवाते हैं और जब बच्चे स्कूल से लौटते हैं, तो फिर उन्हें वापस लेने आना पड़ता है। नदी की गहराई और तेज बहाव के बीच बच्चों की इस मजबूरी को देखकर कोई भी कह सकता है कि यह सिर्फ असुविधा नहीं, एक गंभीर खतरा भी है। ग्राम के निवासी दशरथ शेषकर बताते हैं कि नदी पर पुलिया नहीं होने से स्कूली बच्चों के अलावा ग्रामीणों को भी बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है। पाढर, मलाजपुर और चिचोली जाने का यही रास्ता है, और हर बार नदी पार करना पड़ता है।
मंत्री डीडी उइके ने दिया था आश्वासन
ग्रामीणों का कहना है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब भाजपा प्रत्याशी दुर्गादास उइके गांव आए थे, तब सभी ने अपनी समस्या सामने रखकर नदी पर पुलिया निर्माण की मांग की थी। दुर्गादास उइके ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि यह समस्या जल्द हल की जाएगी। लेकिन चुनाव को 2 वर्ष बीत चुका है और ग्रामीणों की समस्या अब भी जस की तस बनी है। पुलिया के नाम पर आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, जमीन पर काम शुरू नहीं हुआ।
ग्रामीणों का दर्द साफ है वे विकास की बात करते हैं, बच्चे पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन नदी और जोखिम दोनों हर दिन उनके सामने खड़े होते हैं। ग्रामीणों को अब भी उम्मीद है कि उनके जनप्रतिनिधि इस समस्या पर ध्यान देंगे और पुलिया निर्माण जल्द शुरू होगा, ताकि उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए अपनी जान दांव पर न लगानी पड़े।
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