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कटहल ए जैकफ्रूट मिस्ट्री : सीन नहीं कटता तो नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्म में नज़र आते बैतूल के करण कश्यप

परिधि मनोरंजन/ बैक साइड स्टोरी

✓कटहल ए जैकफ्रूट मिस्ट्री : सीन नहीं कटता तो नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्म में नज़र आते बैतूल के करण कश्यप

गौरी बालापुरे पदम परिधि मनोरंजन/ बैक साइड स्टोरी

फिल्म कटहल ए जैकफ्रूट मिस्ट्री उन फिल्मों में से है जिसे दर्शकों और आलोचकों ने खूब पसंद किया. एकता कपूर, गुनीत मोंगा, अचिन जैन और शोभा कपूर के प्रोडक्शन में बनी इस कॉमेडी-क्राइम ड्रामा फिल्म को यशोवर्धन मिश्रा ने डायरेक्ट किया है। 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स 2023 में इस फिल्म ने बड़ी जीत दर्ज की।सान्या मल्होत्रा स्टारर फिल्म कटहल को बेस्ट हिंदी फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला, जो इसकी अनोखी कहानी, समाज पर तीखे कमेंट और नए अंदाज की बड़ी पहचान है। कटहल फिल्म आज सुर्खियां बटोर रही है ऐसे में इस फिल्म के एक सीन के बैतूल से जुड़ाव को भी सामने लाना जरूरी है।दरअसल इस फिल्म के एक सीन में बैतूल के बेटे मुंबई में डायरेक्टर/ राइटर करण कश्यप ने भी काम किया था, शूटिंग ग्वालियर में हुई थी। हालांकि इस सीन को फिल्म में स्थान नही दिया गया..लेकिन फिल्म के इस शॉट के फोटो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए करण ने इस शॉट की हिस्ट्री और मिस्ट्री दोनों को उजागर किया है…करण की जन्मभूमि बैतूल है…फिल्मी दुनिया से वह बचपन से ही प्रभावित थे यही वजह है कि उन्होंने मुंबई के सिने वर्ल्ड को ही अपनी कर्मभूमि बना लिया।परिधि में पढ़िए कटहल… ए जैकफ्रूट मिस्ट्री के कट सीन का पूरा सच…करण कश्यप की जुबानी…

कटहल फिल्म का वह सीन जिसमें नजर आ रहे है करण कश्यप

जब फिल्म रिलीज हुई मेरा सीन काट दिया गया…

✍🏼करण कश्यप

कुछ साल पहले, मेरी पत्नी और मेरे बीच एक्टिंग को लेकर हल्की-सी बहस हुई। उसने मेरा मजाक उड़ाया, कहा कि मुझे कोई कास्ट नहीं करेगा। ये बात चुभ गई। मैंने इसे दिल से लगा लिया। मैंने अपनी फोटोज कुछ जगहों पर भेजीं, ऑडिशन भी रिकॉर्ड किए। हैरानी की बात, मुझे सिख्या एंटरटेनमेंट और बालाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड की फिल्म “कटहल” के लिए शॉर्टलिस्ट कर लिया गया।मैं नहीं चाहता था कि किसी को पता चले कि मैं डायरेक्टर या राइटर हूं, इसलिए मैंने दूसरा नंबर इस्तेमाल किया। मैं ग्वालियर एक दिन के शूट के लिए गया। मुझे बताया गया कि मुंबई में एक और दिन की जरूरत पड़ सकती है, हालांकि ग्वालियर ही काफी था। मैंने पैसे या किसी और चीज के बारे में नहीं पूछा। बस एक सीन था, लेकिन मेरे लिए ये मायने रखता था। वहां पहुंचते ही मुझे अचानक दमा का दौरा पड़ा। मैंने चुपके से अपना इनहेलर इस्तेमाल किया, किसी को कुछ नहीं बताया, बोझ नहीं बनना चाहता था। ब्रेक में, मैंने चुपके से इनहेलर लिया ताकि सांस चलती रहे। वैसे वहां मुझे कोई नहीं जानता था। एक पल तो मुझे खुद पर शक हुआ कि ये कर भी क्यों रहा हूं ? कहीं कोई मुझे पहचान न ले? हालाँकि ये सिर्फ खुदको समझाने का तरीका था, मुझे स्क्रिप्ट और कॉस्ट्यूम थमा दिया गया। मेकअप के लिए ले जाया गया। मेकअप वाले ने मुझे देखा, मेरे बाल संवारे, और कहा, “तैयार।” मैं मुस्कुराया और शॉट के लिए निकल गया। पहला शॉट मास्टर शॉट था। मैंने पूरी जान लगा दी। वो मेरा सीन था, और मैंने उसे जी लिया। अचानक माहौल बदल गया। एक कुर्सी आई, किसी ने पानी दिया, वही मेकअप वाला मेरा पसीना पोंछने लगा। 30 मिनट में मेरा शूट खत्म हो गया। मेरा दमा अभी भी था, लेकिन मैंने शर्त, आधी जीत ली थी। उस वक्त मैं काफी मोटा था। जब बालाजी और सिख्या ने पहली बार मीम्स शेयर किए, तो मेरी सांस की तकलीफ साफ दिख रही थी उन फोटोज में, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई, मेरा सीन काट दिया गया। तो इस तरह मैंने शर्त आधी जीती, आधी हारी। लेकिन अनुभव? वो अविस्मरणीय था। ये थी आधी शर्त और पूरा अनुभव…।

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