विवाह से पहले जरूरी है सिकल सेल जेनेटिक स्टेटस का मिलान
विवाह से पहले जरूरी है सिकल सेल जेनेटिक स्टेटस का मिलान
✍️डॉ रमेश कुमार बड़वे
वरिष्ठ चिकित्सक
एनीमिया के कई कारण है जिसमे सिकल सेल बीमारी भी एक प्रमुख कारण है। सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है जो माता – पिता से जीन के माध्यम से बच्चों में स्थानान्तरित होता है।इस बीमारी को दरान्ति कोशिका अरक्तता से भी जाना जाता है। यह बीमारी पीड़ित रोगी के पूरे जीवन को प्रभावित करती है।यह बीमारी विशेष तौर पर आदिवासी आबादी में अधिक होती है लेकिन गैर – आदिवासियो को भी होती है। इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं के आकार प्रभावित होता है लाल रक्त कोशिकाएं आमतौर पर गोल एवं लचीली होती हैं इसलिये वे आसानी से रक्तवाहिनियों के माध्यम से आगे शरीर के अंगों को आक्सीजन पहुंचाती हैं लेकिन सिकल सेल बीमारी में रक्त कोशिकाएं हसिये अथवा दरान्ति के आकार की हो जाती है इसलिये इसे सिकल सेल बीमारी कहते हैं। इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं सख्त हो जाती हैं और आपस में चिपकी होती हैं इसलिये उन्हें सबसे छोटी रक्त वाहिकाओं से गुजरने मे कठिनाई होती है जिससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और उन जगह के अंगों में आक्सीजन की पूर्ति कम हो जाती है । आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिन तक जीवित रहती हैं लेकिन सिकल सेल बीमारी में केवल 10 से 20 दिनों तक ही जीवित रहती हैं, इससे लाल रक्त कोशिकाएं की कमी ( एनीमिया ) हो जाता है।बच्चों में इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर छह महीने की उम्र के लगभग दिखाई देते हैं क्योंकि इसके पूर्व बच्चों में गर्भ का हीमोग्लोबिन ( फीटल हीमोग्लोबिन ) रहता है सिकल सेल बीमारी में प्रायः हड्डियों, जोड़ों, पेट और छाती में गंभीर दर्द होता रहता है तथा हाथ पैरों और जोड़ों में सूजन हो सकती है। रक्त की कमी के कारण थकान व कमजोरी होती है,रक्त द्वारा आक्सीजन ले जाने की क्षमता कम होने से श्वास लेने में तकलीफ होती है। जब ये रक्त कोशिकाएं रक्त प्रवाह को इस हद तक अवरुद्ध कर देती हैं कि ऊतक आक्सीजन से वंचित हो जाते हैं तो इसे वासो – ऑकल्यूसिव संकट या क्राईसिस कहते हैं यह संकट कुछ दिनों लेकर महीनों तक हो सकता है। यह जटिलता शरीर के किसी भी अंगों में हो सकती है रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने से कभी गंभीर क्षति हो सकती है किन्तु कुछ सम्भावित जटिलताओं की जानकारी होना अवश्यक है जैसे मष्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित होने पर स्ट्रोक होना,फेफड़ों में रक्त प्रवाह बाधित होने पर छाती दर्द श्वास लेने में तकलीफ एवं गंभीर जटिलता हो सकती है। शरीर में अधिक शक्ति के साथ रक्त प्रवाहित करने से हृदय का आकार बढ़ जाता है ,हृदय में विफलता भी हो सकती है हृदय में रक्त प्रवाह बाधित होने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है । आंखों में रेटिनल आर्टरी अवरोध से दिखना कम हो सकता है, गुर्दों में रक्तबाधित होने से गुर्दे की कार्य प्रणाली की क्षति, प्लीहा क्षतिग्रस्त होने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अत्यंत कम हो जाती। गर्भवती महिलाओं को उच्च रक्तचाप एवं जटिलताएं हो सकती हैं। हड्डियों में रक्त बाधित होने से अस्थि मज्जा का कार्य प्रभावित होता है कभी-कभी कुल्हये की हड्डी प्रभावित होती है।पैरों में घाव एवं शिराओं रक्त के थक्के बनने से छाती फेफड़ों में गंभीर समस्या हो सकती है। प्लीहा के क्षतिग्रस्त होने से बार बार संक्रमण होता है , अतः सिकल सेल पीड़ित बच्चों के लिये टीकाकरण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका संक्रमण गंभीर हो सकता है इन बच्चों को बचपन मे लगने वाले सभी टीके लगवाना चाहिये जिसमें निमोनिया,मेनिनजाइटिस , हिपेटाइटिस बी और सालाना फ्लू के खिलाफ टीके भी जरूरी हैं। इस बीमारी में अनार , केले एवं अन्य रंग-बिरंगे फल तथा सब्जियाँ व साबुत अनाज, प्रोटीन, मेवे किशमिश, खरीक एवं विटामिन डी फायदेमंद हैं। इस बीमारी के मरीजों को पानी एवं तरल पदार्थ बहुत पीना चाहिये जिससे कि रक्त की तरलता बनी रहे। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को सालमोनेला संक्रमण की संभावना अधिक रहती है अत: इन्हें खानपान में स्वच्छता (hygiene) जरूरी है। ठंड से बचने के लिये गरम कपड़े पहने तथा अचानक ताप परिवर्तन से बचें। सिकल सेल बीमारी के मरीज़ समान्य काम कर सकते हैं पर अत्याधिक शारीरिक गतिविधियों अथवा व्यायाम से बचना चाहिये। बच्चों का दर्द से ध्यान भटकाने के लिये कहानी पढ़ना, पसंदीदा कंप्युटर गेम खेलना , संगीत इत्यादि उपाय कर सकते हैं, दर्द की जगह मालिश या हीट पैड से सिकाई कर सकते हैं। ऐसे मरीजों को शराब का सेवन एवं धुम्रपान नहीं करना चाहिये। ऐसे मरीजों को बुखार होने पर लापरवाही नहीं करना चाहिये तथा चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिये। सिकल सेल एनीमिया का निदान रक्त परीक्षण द्वारा किया जाता है जिसमें सिकल सेल जीन की जानकारी ली जाती है यदि किसी के रक्त मे सिकल सेल जीन मिलते हैं तो परिवार के निकटतम सदस्यों की भी जांच की जाती है। सिकल सेल संबंधित बीमारियों का पता लगाने के लिये सिकलिंग टेस्ट किया जाता है। उक्त टेस्ट अस्पतालों में हो जाते हैं। जन्म से पहले सिकल सेल जीन का पता गर्भ में बच्चे के आसपास के ऐमनियोटिक (amniotic) द्रव्य का नमूना लेकर अजन्मे बच्चे में इस रोग का निदान किया जा सकता है।यदि लगातार दर्द एवं कमजोरी रहती है तो चिकित्सकीय परामर्श से ही उपचार लेना चाहिये, दर्द होने पर पैरासिटामोल या आईब्रुप्रोफ़ेन जैसी दर्द निवारक दवाई दी जाती है, 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डॉक्टर की सलाह के बिना ऐसप्रिन की गोली न दे।
उपचार हेतु हाइड्रोकसीयूरिया (Hydroxyurea )नामक दवाई भी उपयोगी रहती है । एनीमिया में सुधार के लिए फोलिक एसिड की गोली देते हैं। शरीर में रक्त की कमी होने पर प्राय: रक्त की जरूरत होती है। रक्त की कमी से जटिलता या स्ट्रोक होने पर तुरंत प्राप्त की गईं लाल रक्त कोशिकाएं दी जाती हैं अत: स्वैच्छिक रक्तदान से प्राप्त रक्त सिकल सेल रोग से पीड़ित किसी मरीज़ की तकलीफ कम करने एवं प्राय: जीवन रक्षक होता है I इसके अलावा वाकसौलौटर गोली ( voxelotor ) व ऐल ग्लुटामिन ( L- Glutamin )का भी उपयोग लाभकारी होता है। चिकित्सकीय सलाह के बिना आयरन की खुराक खतरनाक हो सकती है। गंभीर मरीजों के लिये स्टेम सेल या अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण एक संभावित उपचार है।
01 जुलाई 2023 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मध्यप्रदेश के शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का शुभारंभ किया है भारत सरकार द्वारा 2047 तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से सिकल सेल एनीमिया को ख़त्म करने की योजना बनाई है , इस मिशन के माध्यम से जनजातीय समुदायों को प्राथमिकता देते हुए सन 2023 -24 से तीन वर्ष की अवधि में 40 वर्ष से कम उम्र के लगभग सात करोड़ लोगों की जांच की जायेगी जिसके जनजागृति भी जरूरी है। लोगों को विवाह से पूर्व सिकल सेल जेनेटिक स्टेटस का मिलान कराना चाहिये जिससे कि यह बीमारी अगली पीढ़ी मे न हो।
