बैतूल की 22 बालिकाएं लापता,मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम
✓बैतूल में मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम
✓बच्चों की तस्करी के खिलाफ एकजुट हुए सभी विभाग और सामाजिक संस्थाएं, ट्रैफिकिंग रोकने को लेकर प्रशासन सख्त
✓पिछले 6 महीने में मप्र से रेस्क्यू हुईं 7615 बालिकाएं, बैतूल में 22 अब भी लापता
परिधि न्यूज बैतूल
मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस के मौके पर जिले में बाल तस्करी, बाल श्रम और बाल विवाह जैसे गंभीर मुद्दों पर प्रदीपन संस्था द्वारा एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती शर्मिला बिलवार, विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक निश्चल झारिया, डीएसपी दुर्गेश आर्मो, वरिष्ठ समाजसेवी मीरा एंथोनी, गौरी बालापुरे और श्रम निरीक्षक दीपिका जीवाटोदे मौजूद रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव शर्मिला बिलवार ने बताया कि यदि किसी पीड़ित को एफआईआर दर्ज कराने में परेशानी हो रही हो, तो वो सीधे उनके कार्यालय से संपर्क कर सकता है। पीड़ितों को निशुल्क कानूनी सलाह, वकील और सहायता राशि दी जाती है।
– प्रदीपन ने 54 बच्चों को तस्करी, बाल विवाह और श्रम से बचाया
कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि प्रदीपन संस्था ने पिछले वर्ष 54 बच्चों को विभिन्न प्रकार की तस्करी और शोषण से रेस्क्यू किया। संस्था ने बताया कि बाल तस्करी सिर्फ यौन या श्रम शोषण तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चियों को जबरन विवाह के लिए भी दूसरे राज्यों में ले जाया जा रहा है। संस्था की निदेशक रेखा गुजरे ने कहा कि अगर बच्चों की तस्करी रोकनी है तो कानूनी कार्रवाई तेज करनी होगी। जब बाल तस्करों को कड़ी और समयबद्ध सजा मिलेगी, तभी उनमें कानून का भय होगा और रोकथाम संभव होगी।
6 महीने में मप्र से 7615 बालिकाएं रेस्क्यू, 3800 अब भी लापता: एसपी
कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक निश्चल झारिया ने बताया कि राज्य में पिछले 6 महीने में 7615 बालिकाओं को रेस्क्यू किया गया है। वहीं 3800 बालिकाएं अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है। बैतूल में भी अब तक 22 बालिकाएं लापता हैं। उन्होंने कहा कि ट्रैफिकिंग सिर्फ कानूनी मामला नहीं है, ये सामाजिक अपराध है। इसे खत्म करने में सामाजिक संस्थाओं और स्थानीय लोगों की बड़ी भूमिका जरूरी है। हम ‘स्वाभिमान’ नाम से नया अभियान शुरू करने जा रहेI
यह संगठित अपराध है, जागरूकता जरूरी: डीएसपी
डीएसपी दुर्गेश आर्मो ने कहा कि तस्करी अब एक संगठित गिरोह के रूप में काम कर रही है। बच्चों को गोद लेने, काम दिलाने या शादी कराने के नाम पर फंसाया जाता है। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में नुक्कड़ नाटक और जागरूकता कार्यक्रम जरूरी हैं, ताकि लोग समझ सकें कि कैसे तस्करी होती है।कार्यक्रम में पुलिस, न्यायिक सेवा, सामाजिक संगठन, मीडिया, श्रम विभाग और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित जिले के तमाम संबंधित विभागों ने हिस्सा लिया और ट्रैफिकिंग के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का संकल्प लिया।
रेलवे स्टेशनों पर भी हुआ जागरूकता अभियान
जुलाई माह में प्रदीपन संस्था ने रेलवे सुरक्षा बल के सहयोग से रेलवे स्टेशनों पर एक विशेष अभियान चलाया। इसका मकसद यात्रियों, कुलियों, दुकानदारों और रेलकर्मियों को बाल तस्करी की पहचान और रिपोर्टिंग के लिए जागरूक करना था, क्योंकि तस्कर अक्सर बच्चों को ट्रेन से दूसरे राज्यों में ले जाते हैं। कार्यक्रम में सभी संस्थाओं और प्रतिभागियों से सुझाव लिए गए। इस दौरान संदिग्ध लोगों की पहचान कर तुरंत पुलिस को सूचना दें, रेस्क्यू किए गए बच्चों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए, विभागों, संस्थाओं और समुदायों के बीच मजबूत समन्वय बनाया जाए, बाल तस्करी के मामलों में त्वरित कानूनी कार्रवाई हो सुझाव दिए गए। इस आयोजन को सफल बनाने में प्रदीपन संस्था के कोर्डिनेटर सुनिल कुमार, काउंसलर दीपमाला खातरकर, चारू वर्मा, अलका नागले, पूनम अतुलकर, ज्योति बागवे, संगीत अंजाने, रवि शंकर चवारे, विशाल आर्य, राकेश मन्नासे, और कमलेश तायवाड़े की अहम भूमिका रही।