Betul and MP Latest News

बच्चों को मोबाईल एडिक्शन से बचाने के लिए सतपुड़ा वैली की पहल

शिक्षकों ने लघुनाटक से बताए दुष्परिणाम तो मोबाईल छूने से भी बच्चो ने कर ली तौबा

✓बच्चों को मोबाईल एडिक्शन से बचाने के लिए सतपुड़ा वैली की पहल
✓शिक्षकों ने लघुनाटक से बताए दुष्परिणाम तो मोबाईल छूने से भी बच्चो ने कर ली तौबा
परिधि न्यूज बैतूल

वर्तमान समय में लगभग हर व्यक्ति चाहे वह बच्चा हो या बड़ा मोबाईल का आदी हो चुका है। बच्चों में तो मोबाईल का एडिक्शन इतना अधिक हो गया है कि वह मोबाईल छोडऩे तैयार ही नहीं होते। माता-पिता के लिए बच्चों की मोबाईल की आदत छुड़ाना बड़ी परेशानी बन गया है।

मोबाईल के लिए जिद करते बच्चे कई बार नाराजगी और मार तक झेल लेते है, यहां तक कि मोबाईल हाथ से लेते ही रो-रोकर बुरा हाल कर लेते है। ऐसे में छोटे बच्चों को मोबाईल से दूर रखने और उसके दुष्परिणामों के बारे में बताने के लिए सतपुड़ा वैली स्कूल ने करीब पौने दो मिनट की लघुनाटिका तैयार की है। यह लघुनाटक इतना प्रभावी है कि बच्चों के सामने जब शिक्षकों ने इसे प्रस्तुत किया तो उन्होंने मोबाईल को हाथ लगाने से भी मना कर दिया।
बच्चों और अभिभावकों दोनों के लिए एक जागरूकता भरा संदेश: वीडियो देखे

यह प्रभावशाली प्रस्तुति सतपुड़ा वैली पब्लिक स्कूल के ईवाई विभाग द्वारा स्कूल डायरेक्टर दीपाली निलय डागा के मार्गदर्शन में तैयार की गई है। श्रीमती डागा जब बच्चों के अभिभावकों से भी मिलती है तो हमेशा बच्चों को मोबाइल की एडिक्शन से बचाने के लिए सलाह देती है। स्कूल द्वारा बनाई गई लघुनाटिका सहित अन्य गतिविधियों को लेकर उनका विश्वास है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए इस प्रकार की गतिविधियाँ अत्यंत आवश्यक हैं। स्कूल के प्रबंधक शिवशंकर मालवीय एवं प्रधानाचार्य डॉ ऋतु बाजपेयी भी मानते है कि विद्यालय में किया गया हर कार्य बच्चों की प्रगति और चरित्र निर्माण की दिशा में होना चाहिए। सतपुड़ा वैली में हमेशा अनुभवात्मक और मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है।
कुछ इस तरह है नाटक की पृष्ठभूमि
मोबाईल के दुष्परिणाम नाटक में दो बच्चों की जीवनशैली की तुलना को दिखाया गया। एक बच्चा जो स्वस्थ भोजन करता है, बाहर खेलता है और मोबाइल से दूर रहता है। दूसरा बच्चा मोबाइल की लत में डूबा रहता है, जंक फूड खाता है और मोबाइल के बिना खाना भी नहीं खाता।
कहानी में मोड़ तब आता है जब मोबाइल चार्जिंग के दौरान भी खेलते रहने पर फट जाता है, जिससे बच्चा गंभीर रूप से घायल हो जाता है। माँ बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाती हैं और ऑपरेशन के बाद बच्ची की जान तो बच जाती है, लेकिन उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है।
नर्सरी कक्षाओं के बच्चों पर लघु नाटिका का गहरा प्रभाव


सतपुड़ा वैली पब्लिक स्कूल के ई.वाई. विभाग द्वारा छोटे बच्चों को मोबाइल की एडिक्शन से होने वाले खतरों से अवगत कराने के लिए इस प्रभावशाली लघु नाटिक मोबाइल के दुष्परिणाम प्रस्तुत किया गया। कक्षा नर्सरी, केजी-1 एवं 2 के बच्चों को जब क्लास में इस नाटक को मंचन करके दिखाया गया तो उनके चेहरे के हाव-भाव से प्रतीत हो रहा था कि बच्चों पर यह नाटक गहरा प्रभाव छोड़ रहा है।

इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने मिल रहे है। जो माता-पिता अक्सर बताते थे कि बच्चे मोबाईल के लिए जिद करते है वह अब कहते है कि बच्चों ने मोबाईल मांगना या तो बंद कर दिया है या फिर बहुत ही कम समय मोबाईल देख रहे है। इस प्रयास को सफल बनाने में ईवाई शिक्षकों का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.