मध्यप्रदेश के बैतूल की जनजातीय कला को मिला राष्ट्रीय गौरव,प्रधानमंत्री श्री मोदी को भेंट की गई भरेवा धातु शिल्प से निर्मित “पुष्पक” कलाकृति
प्रधानमंत्री श्री मोदी को भेंट की गई भरेवा धातु शिल्प से निर्मित “पुष्पक” कलाकृति
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मध्यप्रदेश के बैतूल की जनजातीय कला को मिला राष्ट्रीय गौरव
परिधि न्यूज बैतूल
लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जन्म जयंती के अवसर पर भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित भव्य महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बैतूल जिले की भरेवा धातु शिल्प से निर्मित “पुष्पक” कलाकृति प्रधानमंत्री जी को भेंट की, जो कि प्रदेश की जनजातीय कला परंपरा का जीवंत उदाहरण है।यह गौरवपूर्ण क्षण बैतूल की जनजातीय धरोहर को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने वाला सिद्ध हुआ। यह कला, जिसे ढोकरा शिल्प के नाम से भी जाना जाता है, बैतूल जिले के टिगरिया ग्राम में पीढ़ियों से जीवित है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कुछ दिन पूर्व बैतूल जिले के सारणी स्थित बागडोना में आयोजित स्व-सहायता समूह सम्मेलन में भरेवा आर्ट की प्रदर्शनी का अवलोकन किया था। यहां उन्हें टिगरिया ग्राम के प्रसिद्ध कलाकार श्री बलदेव वाघमारे की “पुष्पक” कलाकृति विशेष रूप से प्रिय लगी। इसके बाद उन्होंने श्री वाघमारे को भोपाल में 31 मई को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित किया।
क्या है भरेवा आर्ट?
भरेवा धातु शिल्प एक अत्यंत प्राचीन “मोम ढलाई तकनीक” (Lost Wax Casting) पर आधारित है। इस प्रक्रिया में मधुमक्खी के छत्ते से प्राप्त मोम से मूर्ति की आकृति बनाकर उस पर मिट्टी की परत चढ़ाई जाती है, फिर उसे अग्नि में तपाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद उस सांचे में पिघली हुई पीतल की धातु डाली जाती है, जिससे अद्वितीय कलाकृति तैयार होती है। यह कला धार्मिक, पौराणिक, लोककथाओं और प्रकृति से जुड़े विषयों को मूर्त रूप देती है।
टिगरिया – एक उभरता हुआ क्राफ्ट विलेज
टिगरिया ग्राम को आज “क्राफ्ट विलेज” के रूप में जाना जाता है, जहां बलदेव वाघमारे एवं उनका परिवार इस विलुप्त होती कला को संजीवनी दे रहे हैं। वे लगभग 200 से अधिक कारीगरों के साथ मिलकर इस परंपरा को नई ऊँचाइयों तक पहुंचा रहे हैं। ग्राम के लगभग 50 परिवार इस कार्य से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
वैश्विक पहचान और सम्मान
श्री बलदेव वाघमारे को कालिदास अकादमी सम्मान, विश्वकर्मा पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनकी कलाकृतियाँ अमेरिका, फ्रांस समेत कई देशों में प्रदर्शित हो चुकी हैं। जिला प्रशासन बैतूल और मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा भी इस कला के संरक्षण व प्रोत्साहन में निरंतर सहयोग किया जा रहा है।31 मई को आयोजित इस कार्यक्रम में भरेवा आर्ट की प्रदर्शनी मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर होगा।