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ममता की मूरत,संघर्ष की दास्तां,सफलता की कहानी…

कभी सख़्त सख़्त कभी नरम नरम

✓ममता की मूरत,संघर्ष की दास्तां,सफलता की कहानी…कभी सख़्त – सख़्त, कभी नरम- नरम

परिधि मदर्स डे विशेष ( गौरी बालापुरे पदम)

दुनिया में मां का रिश्ता सभी बच्चों के लिए खास और प्यारा होता है। ऐसा एक भी दिन नहीं बितता जब हम अपनी मां को याद न करते हों। वैसे तो हर दिन हम अपनी मां को प्यार जताते हैं। लेकिन इन्हें खास तरीके से सम्मानित करने के लिए हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। मां एक ऐसा शब्द है जो किसी भी नन्हें शिशु के उच्चारण के लिए सबसे सरल है। इसलिए जब वे बोलना सिखते हैं तो उनके जुबान से पहला शब्द मां निकलता है।भले ही असमी- आई, मातृ और मां,बगाली- मां, अम्मा, माता और मातृ गुजराती- मां, माता और बा हिंदी- मां, माता, मातृ और अम्मा कन्नड़- अम्मा,ताई कश्मीरी- मौज कोंकणी-माई मणिपुरी-इमा मराठी- आई मलयालम-अम्मा ओडिया- बाऊ और मां,पंजाबी- माताजी, पब्बो और माई संस्कृत- मातरः, अम्बा, मातुलः, जननी और मातृ सिंधी- मऊ तमिल- अम्मा तेलगु- अम्मा उर्दू- अम्मी मारवाड़ी- मासा छत्तीसगढ़ी- दाई, अम्मा, मां और महतारी उत्तराखंड- माजी, ईजा,बिहारी- माई, महतारी, मया, मां कहते है पर हर भाषा में मां शब्द एक सा लगता है। इस मातृत्व दिवस पर परिधि की विशेष प्रस्तुति में मिलिए ममता की मूरत,संघर्ष की दास्तां,सफलता की कहानी…बनी कुछ मांओ से। किसी ने महुआ बीनकर अभाव के बावजूद अपने बच्चो का सुनहरा भविष्य लिखा तो किसी ने समर्पण की कहानी बनकर अपने बच्चो के जीवन में नए अध्याय लिखे तो कोई दूसरो के जीवन में उम्मीद के दीप जलाकर खुश है।

परिधि मदर्स डे विशेष..में जानिए डॉक्टर कृष्णा मौसिक, डॉक्टर मुकेश वागद्रे  एवं डॉ शीला धोटे, जिम ट्रेनर आभा तिवारी के जीवन के मां से जुड़े अनमोल अनुभव….

 

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