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जनसंपर्क के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर चमकती ग्रेवल सड़क और मौके पर बदहाली का आलम, न क्वालिटी मिली न मटेरियल की क्वांटिटी

✓जनसंपर्क के आधिकारिक पेज पर चमकती ग्रेवल सड़क पर, मौके पर बदहाली का आम, न क्वालिटी मिली न मटेरियल की क्वांटिटी

✓118.54 लाख की सड़क पर भारी अनियमितता उजागर RES विभाग का ‘गुणवत्ता पूर्ण’ दावा धराशायी

परिधि न्यूज बैतूल/भीमपुर

भीमपुर विकासखंड के बाशिंदा सुखढाना से डांडलभूरू तक मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं अवसंरचना मद से 118.54 लाख रुपये की लागत से 3 किलोमीटर ग्रेवल सड़क निर्माण कार्य RES विभाग द्वारा कराया जा रहा है। विभाग ने रविवार को जनसंपर्क के आधिकारिक पेज पर इस सड़क को “उच्च गुणवत्ता के साथ पूर्ण” बता कर पोस्ट जारी की, लेकिन स्थल पर जांच करने पर निर्माण की स्थिति विभागीय दावों के बिल्कुल विपरीत मिली। सड़क पर रविवार तक पुलिया के वेरिंग कोट का कार्य जारी था, और सड़क की गुणवत्ता को लेकर ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

निर्माण स्थल पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण में न क्वालिटी का ध्यान रखा गया और न ही निर्धारित मटेरियल क्वांटिटी का उपयोग किया गया है। उनके अनुसार ठेकेदार ने सड़क पर केवल मुरूम डालकर जेसीबी से समतल किया और अंतिम चरण में दाल में जीरे जितनी बारीक बजरी चूरी बिछा दी गई। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि निर्माण के दौरान न पानी डाला गया और न ही रोलर चलाया गया, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि पहली ही बरसात में सड़क टूटकर दलदल में बदल जाएगी।

सड़क के साथ बन रही पुलिया भी अनियमितताओं का उदाहरण बन गई हैं। पुलिया निर्माण में वॉल की चौड़ाई समान नहीं रखी गई, पाइप बेड तकनीकी मानकों के अनुरूप नहीं बने, और बेयरिंग कोट में कंक्रीट के स्थान पर बड़े पत्थरों का उपयोग किया गया है। तकनीकी जानकारों का मानना है कि ऐसा निर्माण बरसाती पानी के दबाव को झेल नहीं पाएगा। इन अनियमितताओं की जानकारी जब इस निर्माण कार्य की सुपरवाइजिंग इंजीनियर निशा पाटिल को दी गई, तो उन्होंने न कोई जवाब दिया और न ही निर्माण गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कोई कदम उठाया।

स्थानीय लोग मानते हैं कि यदि निर्माण काल के दौरान इंजीनियरिंग सुपरविजन प्रभावी और जिम्मेदार तरीके से किया जाता, तो निर्माण कार्य में इस स्तर की अनियमितता संभव ही नहीं थी। ग्रामीणों का कहना है कि सुपरविज़न की कमी और निगरानी तंत्र की लापरवाही ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका आरोप है कि निर्माण मानकों की अनदेखी करते हुए कार्य सिर्फ औपचारिकता निभाने के उद्देश्य से किया गया है।

जनसंपर्क ने सोशलमीडिया पेज पर सड़क को गुणवत्तापूर्ण बताया

जनसंपर्क विभाग द्वारा सड़क को “पूर्ण और उच्च गुणवत्ता वाली” बताकर प्रचारित करना भी ग्रामीणों के बीच गहरी नाराज़गी का कारण बना है। जबकि वास्तविकता में सड़क अधूरी है और गुणवत्ता हीन निर्माण के आरोप सामने आ रहे हैं, ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जनता को गुमराह करने की कोशिश क्यों की गई?क्या यह विभागीय उपलब्धि दिखाने का प्रयास था, क्या खराब निर्माण को छुपाने की मंशा थी, या फिर ठेकेदार–अधिकारी गठजोड़ की कहानी?जनता इन सभी सवालों का जवाब चाहती है।

118.54 लाख रुपये की यह सड़क जनता के टैक्स का पैसा है, और यदि इसी स्तर का कार्य होता रहा तो यह सड़क राहत नहीं बल्कि बरसात में बढ़ी हुई परेशानी का कारण बनेगी। ग्रामीणों ने मांग की है कि निर्माण की जांच कर जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाए।

इनका कहना…
आपके द्वारा बताए गए विषय को मैं देखता हूँ। जनसंपर्क विभाग को जानकारी दे दी गई है। बाकी मैं देखकर बताता हूँ।

पंकज सिंह राजपूत, SDO, RES भीमपुर

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