पाठेजी भी कमाल करते है: खुद को कलेक्टर से कम नहीं समझते, इसलिए कलेक्टर के काम भी वहीं कर लेते है..!
✓पाठेजी भी कमाल करते है: खुद को कलेक्टर से कम नहीं समझते, इसलिए कलेक्टर के काम भी वहीं कर लेते है..!
✓ बंटवारे के प्रकरण को निरस्त करने के बाद बिना कलेक्टर की लिखित अनुमति के किया पुनश्च
✓बैतूल के नायब तहसीलदार की जिद और आदतें नहीं बदलने वाली
✓गजब करते है साहब पिताजी पेशी पर न हो तो बेटे की हस्ताक्षर से भी चला लेते है काम
✓दो महीने पहले भी रिश्वत का मामला हुआ था कैमरे में कैद, कलेक्टर के पास पहुंचा था रेत मामले का वीडियो
गौरी बालापुरे पदम/परिधि न्यूज बैतूल
जिले की बैतूल तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार के कारनामों से सभी वाकिफ है। नायब तहसीलदार गोवर्धन पाठे की कार्यप्रणाली का शिकार हुए सोनाघाटी निवासी किसान भाईयों ने कलेक्टर को अर्जी देकर न्याय की गुहार लगाई है। कृषि भूमि के बटवारे संबंधित इस मामले में एक भाई ने अपने हिस्से की भूमि पूर्व में ही बेच दी, बेची गई भूमि की रजिस्ट्री के आधार पर माननीय न्यायालय ने फैसला भी दिया है। हैरत की बात है कि पूर्व में भी अपने हिस्से की भूमि बेचने वाले भाई ने तहसील एवं न्यायालय की शरण ली थी, जहां तमाम दस्तावेजों एवं साक्ष्यों के आधार पर आदेश जारी किया गया जिसका फैसला अन्य भाईयों एवं मां के पक्ष में ही था। बावजूद इसके दूसरी बार फिर उक्त भाई ने तहसील कार्यालय में न्याय की गुहार लगाई, नियमानुसार जिस न्यायालय ने एक बार किसी प्रकरण में आदेश जारी कर दिया दोबारा उसी न्यायालय में उसी प्रकरण की सुनवाई नहीं हो सकती, इसके लिए अपील का प्रावधान है, लेकिन जिले की तहसील में तमाम नियम कायदों को धता बताते हुए बड़े-बड़े खेल हो रहे है।दो महीने पहले भी बैतूल तहसील के अंतर्गत एक खाली और खड़ी ट्रैक्टर ट्रॉली की जब्ती और रेत परिवहन का प्रकरण बनानें के नाम पर नायब तहसीलदार ने अपने प्रिय पटवारी के माध्यम से किसान से 10 हजार रुपए रिश्वत ली थी, जिसका वीडियो कलेक्टर को उपलब्ध कराया गया था। हालांकि आज तक इस विषय में कारवाई नहीं हुई।
यह है पूरा मामला
सोनाघाटी निवासी चुन्नीलाल हीरालाल यादव, डालचंद हीरालाल, दुलीचंद हीरालाल, मोहनलाल नारायण, लखन नारायण, तुलसिया पत्नि नारायण यादव के विरुद्ध युधिष्ठिर हीरालाल द्वारा 28 मार्च 2025 को नायब तहसीलदार को आवेदन देकर बटवारे की मांग की है। युधिष्ठिर ने मौजा सोनाघाटी तहसील बैतूल में खसरा नंबर 184/4/1/1, 184/2/1/1//3, 184/1/1/1, 184/6/1/1/1, 184/5/1/1, 184/3/1/1/1, 184/2/1/1/1 रकबा क्रमश: 0.409, 0.060, 0.632, 0.403, 0.343, 0.384, 0.410 हेक्टर भूमि का बटवारा किए जाने आवेदन प्रस्तुत किया है। युधिष्ठिर के आवेदन एवं अन्य दस्तावेजों की प्रति बार-बार मांगने के बाद भी चुन्नीलाल व अन्य को उपलब्ध नहीं कराई गई। 33 जून 2025 को इस प्रकरण में प्रारंभिक आपत्ति प्रस्तुत की गई। जिसके जवाब के लिए 18 जून 2025 तारीख नियत की गई। युधिष्ठिर ने 18 जून को आपत्ति का जवाब प्रस्तुत किया वहीं हीरालाल व अन्य ने युधिष्ठिर द्वारा पूर्व में बेची गई अपने हिस्से की भूमि का विक्रय पत्र एवं बटवारा प्रकरण पूर्व निरस्त होने के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। इसी आधार पर नायब तहसीलदार गोवर्धन पाठे द्वारा भी युधिष्ठिर का बंटवारा प्रकरण समाप्त कर दिया गया।
पाठे जी ने एक ही दिन में बदल दी कहानी
18 जून को नायब तहसीलदार द्वारा प्रकरण निरस्त करने के बाद चुन्नीलाल एवं अन्य सभी न्यायालय से चले गए। इसके बाद प्रकरण को नया मोड़ देते हुए श्री पाठे ने युधिष्ठिर की अनुपस्थिति में पुनश्च कर प्रकरण को यथावत रखने का आदेश पारित कर दिया गया। यहां गौरतलब यह है कि युधिष्ठिर भले ही न्यायालय में अनुपस्थित थे लेकिन उनके बेटे रोहित के हस्ताक्षर नायब तहसीलदार के पुनश्च निर्णय के सामने है, जबकि रोहित का इस प्रकरण में प्रारंभ से ही न कही नाम है न ही संबंध का उल्लेख है। चुन्नीलाल सहित अन्य की शिकायत है कि युधिष्ठर द्वारा विधि विरुद्ध जाकर धारा भू राजस्व संहिता की धारा 51 का आवेदन प्रस्तुत किया गया है। यह आवेदन 23 जून को प्रस्तुत किया गया। नायब तहसीलदार श्री पाठे ने इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए 18 जुलाई को प्रकरण को समाप्त कर दिया गया था। हैरत की बात यह है कि जब युधिष्ठर द्वारा 23 जून को आवेदन प्रस्तुत किया गया तो उसे नायब तहसीलदार ने 17 जून 2024 को कैसे मार्क कर दिया। आवेदन देने के पांच दिन पहले की तारीख पर श्री पाठे की मार्किंग संदेहास्पद है और भ्रष्टाचार को इंगित करती है।
क्या कहती है भू-राजस्व संहिता-1959
मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 51 आदेशों के पुनर्विलोकन मे उल्लेख है कि यदि कलेक्टर या जिला सर्वेक्षण अधिकारी के अधीनस्थ कोई अधिकारी किसी ऐसे आदेश का जो स्वयं उसके द्वारा या उसके किसी पूर्ववर्ती द्वारा पारित किया गया हो, पुनर्विलोकन करने की प्रस्थापना करता है तो वह पहले कलेक्टर या जिला सर्वेक्षण अधिकारी की, ठीक जिसके कि वह अधीनस्थ है, लिखित मंजूरी अभिप्राप्त करेगा। गौरतलब है कि उक्त प्रकरण को पुनश्च करने के लिए नायब तहसीलदार द्वारा स्वयं ही पहले प्रकरण को निरस्त किया और स्वयं ही पुनश्च का निर्णय ले लिया। जबकि इस स्थिति में कलेक्टर की लिखित मंजूरी अनिवार्य है। चुन्नीलाल एवं अन्य शिकायतकर्ता ने पूरे प्रकरण को निरस्त करने एवं श्री पाठे द्वारा नियमविरुद्ध की जा रही कार्रवाई की जांच कर उचित कार्रवाई का अनुराध किया है।
जनसुनवाई में पहुंचे प्रकरण को भी आज सात दिन पूरे
सात दिन पहले मंगलवार को चुन्नीलाल यादव ने कलेक्टर से शिकायत की थी, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। चुन्नीलाल सहित डालचंद, दुलीचंद, मोहनलाल, लखन, तुलसिया ने भी कलेक्टर से न्यायोचित कार्रवाई की मांग की है। कलेक्टर को गत मंगलवार जनसुनवाई में दिए आवेदन के माध्यम से शिकायत की गई है कि इस प्रकरण में पूर्व में जिला न्यायाधीश द्वारा आदेश किया जा चुका है। जिसमें युधिष्ठिर द्वारा 2.12 डिसमिल भूमि विक्रय की वजह से बटवारे को आवेदन को निरस्त किया। इस संबंध में वर्ष 2022-23 को नायब तहसीलदार बैतूल के प्रकरण क्रमांक 0092/अ-27/2022-23 राजस्व आदेश पत्र अनुवृत्ति पत्र को भी प्रस्तुत किया है जिसमें युधिष्ठिर को अपने बटवारे में से 2.15 एकड़ भूमि विक्रय करने एवं 2 एकड़ भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग में अधिग्रहण का मुआवजा प्राप्त करने की वजह से समान बटवारे के हक प्राप्त करने का अधिकार समाप्त होने का उल्लेख करते हुए प्रकरण को निरस्त किया है। आज एक बार फिर चुन्नीलाल कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाने जनसुनवाई में पहुंचे है।
इनका कहना…
सेम डे पुनश्च किया जा सकता है.मै इस प्रकरण की गंभीरता से सुनवाई कर रहा हूं इसलिए अभी तक कोई ऑर्डर नहीं किया है।प्रकरण अभी चल रहा है।
गोवर्धन पाठे
नायब तहसीलदार, बैतूल