26वें वर्ष में भारत – पाक बार्डर पहुंचेगा राष्ट्र रक्षा मिशन
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने उत्साहित है बैतूल की बेटियां
✓26वें वर्ष में भारत – पाक बार्डर पहुंचेगा राष्ट्र रक्षा मिशन
✓ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने उत्साहित है बैतूल की बेटियां
परिधि न्यूज बैतूल

कारगिल विजय के बाद बैतूल की धरा से शुरु हुई सैनिकों की हौसला अफजाई की परम्परा अनवरत जारी है। चाहे भूकंप आए हो या भूस्खलन हुआ हो, चाहे आंदोलन की वजह से कफ्र्यू लगा हो या फिर ट्रेन ही रद्द क्यों न हुई हो, लेकिन बैतूल की बेटियों ने कभी भी अपने कदम पीछे नहीं लिए। हर वर्ष बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति का राष्ट्र रक्षा मिशन रक्षाबंधन का पर्व देश की फ्रंट लाईन पर खड़े योद्धाओं के साथ मनाता रहा है। रजत जयंती वर्ष में समिति ने बैतूल से बस से भारत पाक सीमा बाड़मेर पहुंचकर इतिहास रचा था। दो महीने पहले ही पूरे देश ने ऑपरेशन सिंदूर में देश की तीनों सेनाओं का शौर्य और पराक्रम देखा इसी से उत्साहित बैतूल की बेटियां भारत पाकिस्तान बार्डर पर तैनात जवानों के साथ रक्षा बंधन का पर्व मनाएंगी। समिति का 30 सदस्यीय दल इस वर्ष भारत पाक सीमा पर पहुंचकर सीमा सुरक्षा बल के सैकड़ों जवानों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त करेगा।
देश की चतुर्दिक सीमाओं पर पहुंच चुका है राष्ट्र रक्षा मिशन
बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की संस्थापक गौरी बालापुरे पदम ने बताया कि पिछले ढाई दशक में बैतूल की राखियां लेकर यहां की बेटियां देश की चातुर्दिक सीमाओं पर पहुंची है। 25 वर्षों की लम्बी यात्रा में बैतूल के जनप्रतिनधियों, सामाजिक संगठनों, समाजसेवियों एवं अन्य लोगों ने सहयोग एवं प्रोत्साहन दिया है। इस वर्ष 9 एवं 10 अगस्त को रक्षा बंधन का पर्व भारत पाक सीमा पर मनाने को लेकर तैयारियां शुरु हो गई है। श्रीमती पदम ने बताया कि जिन सरहदों पर संस्था का दल पूर्व में रक्षाबंधन मना चुका है वहां राखियां पोस्ट के माध्यम से पहुंचेगी। इस बार भी तिरंगा राखियां सैनिकों के लिए बनाई जाएगी।
पांच नए सदस्यों को मिलेगा मौका
राष्ट्र रक्षा मिशन 2025 के लिए पांच नए सदस्यों को मौका दिया जाएगा। यदि बैतूल की बेटियां या 10 से 35 वर्ष की युवतियां एवं महिलाएं इस यात्रा में सहभागी बनना चाहती है तो वे समिति संस्थापक एवं अध्यक्ष गौरी पदम के मोबाईल नंबर 9300924744 पर सम्पर्क कर सकती है। गौरतलब है कि कारगिल युद्ध से प्रारंभ हुई इस परम्परा को निभाते हुए समिति द्वारा प्रतिवर्ष कारगिल के शहीद स्मारकों के लिए भी राखियां भेजी जाती है।