खेल के सुख – दुःख, हार और जीत का साथी मीडिया
खेल के सुख – दुःख, हार और जीत का साथी मीडिया
हेमंत चंद्र दुबे “बबलू “
त्वरित टिप्पणी
खेल के सुख – दुःख, हार और जीत में मीडिया जगत और उससे जुड़े व्यक्ति हमेशा खेल और खिलाड़ी के साथ होते है । ऐसा ही कुछ कल देखने को मिला जब शुभम् ने अपनी अंतिम सांसे ली तब बैतूल की होनहार पत्रकार गौरी पदम मेजर ध्यानचंद हाकी स्टेडियम में किसी कवरेज के लिए उपस्थित थी। उन्होंने बिना देर किए मात्र 3 से 4 मिनट में मैदान पर उपस्थित साथी खिलाड़ियों, खेल अधिकारी, खेल प्रशिक्षकों को साथ लेकर जिला चिकित्सालय पहुंच गई , और एक मिथक टूट गया कि मीडिया घटना के समय सिर्फ़ और सिर्फ कैमरे लेकर ही कवरेज में लगा रहता है इस घटना ने साबित कर दिया कि मीडिया कैमरे छोड़कर मानवता इंसानियत के लिए दौड़ता हैं, और अपना कर्तव्य भी निभाना जानता है।जय हो पराजय हो, मीडिया हमेशा खेलो को , खिलाड़ियों को उत्साहित और मदद करता है। उनके ही प्रकाशित समाचारों से खिलाड़ियों और खेल को दिशा मिलती है, साधन सुविधाएं उपलब्ध होती है, खिलाड़ियों की उपलब्धियों पर मीडिया जगत गर्व करता है, कमज़ोरियों को उजागर कर खेलने के लिए नई राह खोलता है, कभी कभी लगता है कि मीडिया नहीं होता तो खेल और खिलाड़ी अपना वजूद ही खो देते ।आज जब बैतूल का खेल जगत शोकाकुल है तब मीडिया जगत की सकारात्मक भूमिका को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं, एक खिलाड़ी होने के नाते कल अस्पताल में वरिष्ठ पत्रकार इरशाद हिन्दुस्तानी, मनोज देशमुख को देख रहा था , जिला अस्पताल में खिलाड़ियों को सांत्वना दे रहे थे, समझा रहे थे, मार्गदर्शन दे रहे थे। गौरी पदम तो इस खिलाड़ी के साथ ही अस्पताल पहुंचती हैं, मानवता इंसानियत का धर्म और फर्ज निभाती हैं।ऐसा लगता है मीडिया जगत के बिना खेल और खिलाड़ी अधूरे है। आपकी भूमिका के लिए खेल जगत सदैव आपका मीडिया जगत का ऋणी है।