…और खेलते- खेलते ही जिंदगी से खेल गया शुभम
…और खेलते- खेलते ही जिंदगी से खेल गया शुभम
परिधि आंखों देखी: गौरी बालापुरे पदम
उसे सबने मना किया..क्या मां, क्या भाई, साथी, अधिकारी, ट्रेनर से लेकर उन सबने जो जानते थे कि अब उसके लिए खेलना घातक हो जाएगा..पर वह जिद का पक्का निकला…खेलते खेलते जिंदगी से खेल गया। किसी की न मानी और जिस हॉकी के मैदान ने उसे देश में पहचान दिलाई उसने अपनी जिंदगी की अंतिम सांस भी उसी मैदान में ली। वैसे तो नियति को जो मंजूर होता है वहीं होता है। किसी दुर्घटना या आपात स्थिति में सब कुछ पास होकर भी सांसों का बस एक बहाने से साथ छोड़ देना इसे नियति ही कहेंगे शुक्रवार की शाम को भी कुछ ऐसा ही हुआ..एक युवा नेशनल हॉकी प्लेयर शुभम यादव हॉकी के मैदान में ही अपने ग्राउंड, अपने दोस्तों और अपने अपनो को अलविदा कह गया। हॉकी ग्राउंड के एक छोर पर कराते की इंटरनेशनल प्लेयर की सफलता की कहानी रिकॉर्ड की जा रही थी तो इसी ग्राउंड के दूसरे छोर पर हॉकी के खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे थे। कुछ देर ज्यादा शोर न करने और शालीनता से खेलने की हिदायत उन्हें पहले ही दी गई थी। कराते खिलाड़ी कल्याणी अपने बड़े भाई, बहन और अन्य परिजनों के साथ चौपहिया वाहन से ग्राउंड पर पहुंची थी। कल्याणी की सफलता पर डीएसओ, कराते कोच और भाई ने अपनी बात की अगली बारी कल्याणी के इंटरव्यू की थी इसी बीच एक खिलाड़ी को हॉस्पिटल ले जाने के लिए गाड़ी की चाबी इंटरव्यू के बीच मांगी गई और हॉकी खिलाड़ी शुभम के बेहोश होने की जानकारी दी। प्रत्यक्षदर्शी खिलाड़ियों के मुताबिक शुभम बस बैक रन कर रहा था और अचानक पीठ के बल गिरते ही बेहोश हो गया। सतर्कता और जागरूकता का परिचय देते हुए साथी खिलाड़ियों ने तत्काल शुभम को सीपीआर भी दिया इस पूरे घटनाक्रम के दौरान महज पांच मिनट में शुभम को ग्राउंड में खड़े वाहन से ही हॉस्पिटल लाया गया। सिविल सर्जन डॉ जगदीश घोरे और आर एम ओ डॉ रानू वर्मा ने तत्काल ड्यूटी डॉक्टर को सूचना मिलते ही जानकारी दी।अस्पताल पहुंचते ही शुभम का एक पूरी टीम ने उपचार करना शुरू कर दिया था।सीपीआर दिया..ईसीजी किया और…ईसीजी ने सब कुछ साफ कर दिया था..शरीर में जो कुछ हरकत हो रही थी डॉक्टर कह रहे थे वह मेडिसिन की वजह से है…वह जा चुका था सबको छोड़कर…आधे घंटे बाद जब छोटा भाई आमला से पहुंचा तो बस बुत बनकर रह गया..एक खिलाड़ी के साथ उस वक्त पूरा खेल परिवार आ खड़ा हुआ..खेल अधिकारी पूजा कुरील, वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी बबलू दुबे, कोच तपेश साहू,अजय मिश्रा, महेंद्र सोनकर, राधेलाल बनखेड़े और आधा सैकड़ा से अधिक खिलाड़ी हॉस्पिटल में थे।शुभम के जाने के बाद छोटे भाई को सदमे से बाहर निकालने के लिए डॉक्टर, दोस्त, कोच, खिलाड़ी हर किसी ने हर एक प्रयास किया।करीब 2 घंटे में मामा हॉस्पिटल पहुंचे..अस्पताल में मौजूद शुभम को करीब से जानने वाले हर एक शख्स ने उसे मना कर रखा था कि अब खेलना उसके लिए ठीक नहीं है।6 महीने पहले ही तो शुभम को हार्ट अटैक आया था..ऑपरेशन हुए ज्यादा वक्त भी नहीं हुआ था और वह ग्राउंड आने लगा।पांच दिन पहले ही बबलू भैया ने भी खेलने से मना किया, तो वह यह कहकर टाल गया कि खेलेगा नहीं बस ग्राउंड में दोस्तो को खेलते हुए देखता रहेगा..हॉकी खिलाड़ी का दिल भला हाथ में हॉकी लिए मानेगा यह शब्द बबलू भैया ने उससे कहे भी पर वह माना नहीं..आखिर खेलते- खेलते शुभम अपनी जिंदगी से खेल गया…रात करीब 9.30 बजे शुभम के पार्थिव शरीर को परिजन घर ले गए तब तक हर एक व्यक्ति जो हॉकी ग्राउंड से हॉस्पिटल पहुंचा था वह हॉस्पिटल में इस उम्मीद में ठहरा रहा कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और डॉक्टर कह दे कि शुभम जल्द ही हॉकी के साथ ग्राउंड में लौटेगा ! …शुभम को अंतिम विदाई देने साथी खिलाड़ी शुभ 10 बजे से घर पहुंचने लगे..बैतूल के एक होनहार खिलाड़ी की ग्राउंड में ही अंतिम सांस लेने की सूचना जब केंद्रीय राज्य मंत्री डीडी उइके को मिली तो वह भी स्तब्ध रह गए। उन्होंने रायपुर से कॉल करके घटना का विवरण लिया,,और अपनी संवेदनाएं व्यक्त की।हॉकी के प्रख्यात ओलंपियन विश्व विजेता अर्जुन अवॉर्डी अशोक कुमार ने बैतूल के राष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी शुभम् यादव के आकस्मिक निधन पर अपने शब्दों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं ।उन्होंने बताया कि शुभम यादव बहुत ही अच्छे खिलाड़ियों में से एक था।झांसी हीरो क्लब के गठन के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम के लिए शुभम झांसी भी आया था।अब बस स्मृतियां शेष है..।