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हाथरस घटना के विरोध में प्रदर्शन के दौरान घायल पुलिस इंस्पेक्टर और प्रधान आरक्षक के मामले में दोषमुक्त हुए भीमसैनिक 

✓हाथरस घटना के विरोध में प्रदर्शन के दौरान घायल पुलिस इंस्पेक्टर और प्रधान आरक्षक के मामले में दोषमुक्त हुए भीमसैनिक

परिधि न्यूज बैतूल


वर्ष 2019 में उत्तरप्रदेश के हाथरस में घटी घटना को लेकर भीमसैनिक और अन्य साथियों द्वारा जन आंदोलन किया जा रहा था, जिसमे विरोध प्रदर्शन हेतु उत्तरप्रदेश सरकार मुर्दाबाद के नारों के साथ एक सांकेतिक पुतला दहन किया जा रहा था। जिसमे पुतला दहन के दौरान प्रधान आरक्षक सुनील राठौर और सब इंस्पेक्टर अमित पवार घायल हो गए थे, तब आमला पुलिस ने भीमसैनिको के खिलाफ आमला थाना जिला बैतूल ने धारा – 353,332,333,147,148,149 294,188, 34 भादवी की विभिन्न धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया था। 5 वर्षो के संघर्ष के बाद भीम सैनिकों को दोषमुक्त किया गया। भीमसैनिको की पैरवी एड. दर्शन बुंदेला ने की, माननीय अपर सत्र न्यायाधीश तपेश कुमार दुबे  ने सभी आरोपीगण को दोषमुक्त किया ।

एड. दर्शन बुंदेला ने बताया कि माननीय न्यायालय में विचाराधीन केस में एक साथी अरुण पंडोले के स्वास्थ्य खराब होने से मृत्यु हो चुकी थीं, पूरे प्रकरण में एड दर्शन बुंदेला ने 10 भीमसैनिको की पैरवी की एवं 3 आरोपीगण की ओर से पैरवी एड राजेन्द्र उपाध्याय की थी। उक्त प्रकरण में अरुण पंडोले, रवि सिंगारे, अंकित चौकीकर, रम्मू पाटिल , नाजिद खान, पंकज अतुलकर, सीमा अतुलकर, गौतम उबनारे, रमेश पंडोले, प्रभाकर नागले, ओमप्रकाश निरापुरे, आकाश मासतकर, सैय्यद अलीमुद्दीन एवं चेतन चौकीकर थे जिसमें से सीमा अतुलकर की सुनवाई फिलहाल स्थगित है बाकी साथियों को 6 जून को न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किया गया। न्यायालय से न्याय पाने में भूमिका में रहे अधिवक्ता गण – एड दर्शन बुंदेला, एड राजेन्द्र उपाध्याय, एड दीपक बुंदेला, एड नीरज खातरकर, एड दीपक खातरकर एवं एड पवन मौखडे की अहम भूमिका रही। एड दर्शन बुंदेला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मामलों में स्पष्ट किया है कि शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करना भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकार है, विशेष रूप से अनुच्छेद 19(1)(a) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 19(1)(b) (शांतिपूर्वक एकत्र होने का अधिकार) के तहत संरक्षित है।

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