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हत्या का विरोध क्यों नहीं: हेमंतचंद्र बबलू दुबे

एक खिलाड़ी और व्यापारी की हत्या निंदनीय ही नहीं शर्मनाक भी: रवि त्रिपाठी

✓हत्या का विरोध क्यों नहीं: हेमंतचंद्र बबलू दुबे

✓एक खिलाड़ी और व्यापारी की हत्या निंदनीय ही नहीं शर्मनाक भी: रवि त्रिपाठी

परिधि न्यूज बैतूल

बैतूल में व्यस्ततम बाजार में दुकान में घुसकर हार्ड वेयर व्यवसायी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। दुकान के सामने नोटो की गड्डी मिली, व्यवसाय के साथ साथ वह ब्याज का कारोबार भी करता था, हत्या की वजह जो भी हो लेकिन समाज में हत्या जैसे जघन्य अपराध के बाद भी चुप्पी है।इसे लेकर वरिष्ठ खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी है। इस तरह बढ़ते अपराधों को लेकर समाज को जगाने के लिए कदम भी उठाने की भी जरूरत है।पुलिस के साथ साथ अपराध रोकने में समाज की भी अपनी भागीदारी और जिम्मेदारी होती है कुछ ऐसी ही प्रतिक्रियाएं अब समाने आ रही है –

हत्या का विरोध क्यों नहीं : बबलू दुबे

सबसे बड़ा आश्चर्य इस बात को लेकर होता हैं कि कोई भी इस हत्या की कड़े शब्दों में भर्त्सना करने के लिए तैयार क्यों नहीं है ? इसमें कैसा संकोच? निश्चित रूप से पुलिस अपना काम ईमानदारी से करेगी , कानून अपना काम करेगा , अपराधी को पकड़ना सजा दिलवाना पुलिस और कानून का काम है लेकिन समाज को अपराध, हिंसा की कड़क शब्दों में भर्त्सना करते आनी चाहिए ताकि सभ्य समाज में अपराधियों के हौसले पस्त हो सके। यदि कानून अपराध रोकने में सक्षम होता तो अपराध कभी घटित ही नहीं होते। अपराध रुकते है समाज की सक्रियता और अपराध के विरोध में समाज की एकजुटता से खड़े होने से?, हम हमेशा अपराधियों को सजा मिले इसके लिए तो सड़को पर विरोध करने उतर जाते है जबकि वह काम कानून का है लेकिन अपराध जिसका विरोध हमे करना चाहिए उसका हम कभी विरोध नहीं कर पाते है? इसलिए हमेशा अपराध करने का हौसला अपराधियों को बल देता है।हमारा खिलाड़ी चला गया , उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई कम से कम हम सभी खिलाड़ी एक स्वर में कड़े शब्दों में इस घटना की निदा तो कर सके। इस जघन्य अपराध के विरोध में कुछ नहीं किया जा सकता तो केवल  काली पट्टी बांधकर मैदानों पर जाएं और हत्या के विरोध में कम से कम विरोध तो दर्ज कराए की सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है ।
अशोक भाई के कदमों में श्रद्धा सुमन अर्पित है। आप हमेशा हमेशा हमारी यादों में रहेंगे। मैं कड़े शब्दों में इस वारदात की कड़े शब्दों में निदा करता हूं।

एक खिलाड़ी और व्यापारी की हत्या निंदनीय ही नहीं शर्मनाक भी: रवि त्रिपाठी

घटना न सिर्फ निंदनीय है बल्कि शर्मनाक भी है,और भर्त्सना भी करने से कोई फ़ायदा होगा।यदि पुलिस अपना फर्ज और धर्म निभाती तो चार सिपाही एक थाने दार की ताकत इतनी होती है कि भरे बाजार एक व्यापारी के साथ व्यस्त तम चौराहे की दुकान पर ऐसी घटना नहीं होती।आज शहर भर में इमानदारी से छापे की कार्यवाही की तो सैकड़ों की संख्या में देशी कट्टे और अन्य घातक हथियार पकड़ायेगें।और ऐसी घटनाएं पुलिस पर काला कलंक हैं।वैसे जागरूक नागरिकों को साथ चलकर अधिकारियों, और जन प्रतिनिधियों से शहर खराब हो चुकी फिजा पर विचार विमर्श करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। वैसे मैं भी घटना की भर्त्सना और निंदा करता हूं।

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